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Showing posts from July, 2018

चार धाम और सप्त पुरी में से एक द्वारका | Dwarkadhish Temple, Dwarka

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द्वारका,गुजरात के गोमती नदी के तट पर स्थित द्वारका जिले का एक शहर है। द्वारका नाम संस्कृत शब्द ‘द्वार’ से लिया गया है जिसका अर्थ है दरवाजा, द्वारका यह भारत के सात प्राचीन शहरों में से एक है, जो द्वारकाधीश मंदिर –  Dwarkadhish Temple  के लिए प्रसिद्ध है और जहां कृष्ण ने शासन किया था। इसलिए,यह हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान में से एक है। और भगवान कृष्ण के राज्य की प्राचीन और पौराणिक राजधानी कहा जाता है। द्वारका हिंदुओं के लिए पवित्र तीर्थ स्थान चार धाम और सप्त पुरी में से एक है। चार धाम और सप्त पुरी में से एक द्वारका – Dwarkadhish Temple , Dwarka यह जगह किंवदंतियों में घिरी है भगवान कृष्ण का जीवन द्वारका से जुड़ा हुआ है। कहा जाता हैं की भगवान श्रीकृष्ण ने इस शहर को बसाया यह उनकी कर्मभूमि हैं। पुरातन समय में द्वारका को द्वारवती या कौशल्याली नाम से बुलाया जाता था। द्वारका का इतिहास – Dwarka History माना जाता है कि द्वारका गुजरात की पहली राजधानी थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण मथुरा में अपने मामा कंस को पराजित करने और मारने के बाद यहां ब...

कब, क्यों और कैसे डूबी द्वारका?

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Kab kyoon aur kaise dubi Dwarka?  : श्री कृष्ण की नगरी द्वारिका महाभारत युद्ध के 36 वर्ष पश्चात समुद्र में डूब जाती है। द्वारिका के समुद्र में डूबने से पूर्व श्री कृष्ण सहित सारे यदुवंशी भी मारे जाते है।  समस्त यदुवंशियों के मारे जाने और द्वारिका के समुद्र में विलीन होने के पीछे मुख्य रूप से दो घटनाएं जिम्मेदार है।  एक माता गांधारी द्वारा श्री कृष्ण को दिया गया श्राप और दूसरा ऋषियों द्वारा श्री कृष्ण पुत्र सांब को दिया गया श्राप।  आइए इस घटना पर विस्तार से जानते है। गांधारी ने दिया था यदुवंश के नाश का श्राप – महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद जब युधिष्ठर का राजतिलक हो रहा था तब कौरवों की माता गांधारी ने महाभारत युद्ध के लिए श्रीकृष्ण को दोषी ठहराते हुए श्राप दिया की जिस प्रकार कौरवों के वंश का नाश हुआ है ठीक उसी प्रकार यदुवंश का भी नाश होगा। ऋषियों ने दिया था सांब को श्राप –            महाभारत युद्ध के बाद जब छत्तीसवां वर्ष आरंभ हुआ तो तरह-तरह के अपशकुन होने लगे। एक दिन महर्षि विश्वामित्र, कण्व, देवर्षि नारद आदि ...