कृष्ण के सिरदर्द का इलाज
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एक बार, कृष्ण के जन्मादिवस के अवसर पर उत्सव मनाने के लिये बहुत बड़ी तैयारियाँ की गयीं थीं। नृत्य संगीत और भी बहुत कुछ! लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए पर कृष्ण घर में ही बैठे रहे। वे शायद उसमें भाग लेना नहीं चाहते थे। वैसे तो कृष्ण हर तरह के उत्सव के लिये हमेशा तैयार ही होते थे, पर, इस दिन, किसी वजह से उनकी इच्छा नहीं थी। रुक्मिणी आयी और पूछने लगी, "नाथ, आपको क्या हो गया है? क्या बात है? आप उत्सव में शामिल क्यों नहीं हो रहे? कृष्ण बोले, "मुझे सिरदर्द है"। हमें नहीं मालूम, उनको वास्तव में सिरदर्द था या नहीं! हो सकता है कि वाकई हो और ये भी संभव था कि वे नाटक कर रहे हों!! उनमें वो योग्यता थी!!! रुक्मिणी बोली, "हमें वैद्यों को बुलाना चाहिये"। तो वैद्य आये। उन्होंने हर तरह की दवाईयां दीं। कृष्ण बोले, "नहीं, ये सब चीजें मुझ पर असर नहीं करेंगीं। लोगों ने पूछा, "तो हमें क्या करना चाहिये?"। तब तक बहुत सारे लोग इकट्ठा हो गये थे। सत्यभामा आयी, नारद आये। हर कोई परेशान था। "क्या हो गया? क्या हुआ है? कृष्ण को सिरदर्द है। हम उन्हें ठीक करने के लिये क्या करे...