दुर्योधन की पत्नी का कृष्ण भक्त हो जाना
दुर्योधन की पत्नी का नाम भानुमति था। वो एक बहुत ही सुंदर लड़की थी, और जब कृष्ण दुर्योधन के महल में मेहमान बन कर आये तब वो सिर्फ सत्रह साल की थी।
दुर्योधन ने एक षड्यंत्र रचा जिससे कृष्ण को नशे की हालत में ला कर कोई वादा करा लिया जाये। उसने सभी तरह की व्यवस्थायें कीं और इस बात का खास ख्याल रखा कि भोज में खूब अच्छी मात्रा में शराब भी हो। दुर्योधन के दोस्त भी आये और सभी ने इतनी शराब पी कि वे सब नशे में धुत्त हो गये। पर कृष्ण ने अपने आपको शांत रखा और वे हर किसी को खुश करते रहे।
इस सारे हंगामे में भानुमति ने भी कुछ ज्यादा ही पी ली - जितनी वो पी सकती थी, उससे भी ज्यादा। वो एक युवा लड़की थी और उसे इन चीज़ों की आदत नहीं थी। तो, वो नशे में बहकने लगी। कुछ समय बाद सभी लोग बहकने लगे और चीजें काबू से बाहर जाने लगीं।
भानुमति अपने पर काबू खो बैठी। वो कृष्ण से लिपट गयी और उनके लिये अपनी इच्छा प्रकट करने लगी। कृष्ण ने उसे किसी शिशु की तरह सम्भाला, और वे समझ गये थे कि स्थिति खराब हो चुकी थी। वे समझ गए थे कि भानुमती अगर कुछ गलत कर बैठी तो बाद में संभाल नहीं पायेगी, और हस्तिनापुर की रानी का गौरव कलंकित हो जायेगा।
इसलिये कृष्ण उसको उठा कर महल के अंदर ले गये और उसकी सास गांधारी के कक्ष में जा कर उनके हवाले कर दिया। अगले दिन सुबह जब भानुमति को पता चला, तो वो कृष्ण के प्रति सन्मान, और कृतज्ञता से भर गयी कि उन्होंने उसे बचा लिया था। तब से वो कृष्ण की भक्त बन गयी।
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