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Showing posts from November, 2017

56 भोग : जानिए भगवान को चढ़ाए जाने वाले व्यंजनों के नाम...

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*  भगवान को प्रसाद स्वरूप चढ़ाते हैं छपन्न भोग, जानिए उनके नाम...  *   56 भोग  : भगवान को लगाते हैं छप्पन भोग का प्रसाद, जानें उनके नाम...    हिन्दू धर्म में भगवान को छप्पन भोग (Chhappan Bhog) का प्रसाद चढ़ाने की बड़ी महिमा है। भगवान को लगाए जाने वाले भोग के लिए 56 प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं, जिसे छप्पन भोग कहा जाता है। पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं छप्पन भोग के 56 नाम।     Chhappan bhog ke darshan...     छप्पन भोग के नाम इस प्रकार है :-      1. भक्त (भात), 2. सूप (दाल), 3. प्रलेह (चटनी), 4. सदिका (कढ़ी), 5. दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी), 6. सिखरिणी (सिखरन), 7. अवलेह (शरबत), 8. बालका (बाटी), 9. इक्षु खेरिणी (मुरब्बा), 10. त्रिकोण (शर्करा युक्त), 11. बटक (बड़ा), 12. मधु शीर्षक (मठरी), 13. फेणिका (फेनी), 14. परिष्टश्च (पूरी), 15. शतपत्र (खजला), 16. सधिद्रक (घेवर), 17. चक्राम (मालपुआ), 18. चिल्डिका (चोला), 19. सुधाकुंडलिका (जलेबी), 20. धृतपूर (मेसू)...

भगवान कृष्ण को 56 भोग क्यों लगाते हैं? पढ़ें 3 रोचक कथाएं...

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भगवान श्रीकृष्ण को 56 प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं जिसे  56 भोग  कहा जाता है। बालगोपाल को लगाए जाने वाले इस भोग की बड़ी महिमा है। भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाने वाले 56 भोग के संबंध में कई रोचक कथाएं हैं।  इस कथा के अनुसार माता यशोदा बालकृष्ण को एक दिन में अष्ट पहर भोजन कराती थी अर्थात बालकृष्ण 8 बार भोजन करते थे। एक बार जब इन्द्र के प्रकोप से सारे व्रज को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब लगातार 7 दिन तक भगवान ने अन्न-जल ग्रहण नहीं किया।  8वें दिन जब भगवान ने देखा कि अब इन्द्र की वर्षा बंद हो गई है, तब सभी ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत से बाहर निकल जाने को कहा, तब दिन में 8 पहर भोजन करने वाले बालकृष्ण को लगातार 7 दिन तक भूखा रहना उनके ब्रजवासियों और मैया यशोदा के लिए बड़ा कष्टप्रद हुआ। तब भगवान के प्रति अपनी अनन्य श्रद्धाभक्ति दिखाते हुए सभी ब्रजवासियों सहित यशोदा माता ने 7 दिन और अष्ट पहर के हिसाब से 7X8=56 व्यंजनों का भोग बालगोपाल को लगाया।  56 सखियां हैं 56 भोग एक अन्य मान्यत...

भगवान कृष्ण की 16108 पटरानियों का सच जानिए....

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कहते हैं कि भगवान कृष्ण की 16,108 पत्नियां थीं। क्या यह सही है? इस संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं और लोगों में इसको लेकर जिज्ञासा भी है। आइए, जानते हैं कि कृष्ण की 16,108 पत्नियां होने के पीछे राज क्या है। फिर वे एक दिन उज्जयिनी की राजकुमारी मित्रबिन्दा को स्वयंवर से वर लाए। उसके बाद कौशल के राजा नग्नजित के सात बैलों को एकसाथ नाथ कर उनकी कन्या सत्या से पाणिग्रहण किया। तत्पश्चात उनका कैकेय की राजकुमारी भद्रा से विवाह हुआ। भद्रदेश की राजकुमारी लक्ष्मणा भी कृष्ण को चाहती थी, लेकिन परिवार कृष्ण से विवाह के लिए राजी नहीं था तब लक्ष्मणा को श्रीकृष्ण अकेले ही हरकर ले आए। महाभारत अनुसार कृष्ण ने रुक्मणि का हरण कर उनसे विवाह किया था। विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणि भगवान कृष्ण से प्रेम करती थी और उनसे विवाह करना चाहती थी। रुक्मणि के पांच भाई थे- रुक्म, रुक्मरथ, रुक्मबाहु, रुक्मकेस तथा रुक्ममाली। रुक्मणि सर्वगुण संपन्न तथा अति सुन्दरी थी। उसके माता-पिता उसका विवाह कृष्ण के साथ करना चाहते थे किंतु रुक्म चाहता था कि उसकी बहन का विवाह चेदिराज शिशुपाल के साथ हो। यह कारण थ...

श्रीकृष्ण ने बसाए थे ये तीन नगर...

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भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्म मथुरा में हुआ था। मथुरा हिन्दुओं के लिए मदीना या बेथलेहम की तरह है। गोकुल, वृंदावन, गिरिराज और द्वारिका में कृष्ण ने अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण क्षण गुजारे।     >  पूरे भारतवर्ष में कृष्ण अनेक स्थानों पर गए। वे जहां-जहां भी गए, उक्त स्थान से जुड़ीं उनकी गाथाएं प्रचलित हैं लेकिन मथुरा उनकी जन्मभूमि होने के कारण हिन्दू धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है।   इसके अलावा सोमनाथ के पास प्रभास क्षेत्र में उन्होंने देह त्याग कर दिया था। आज भी वहां उनका समाधि स्थल है। आओ जानते हैं कि मथुरा के अलावा भगवान श्रीकृष्‍ण ने और कौन से नगरों का पुनर्निर्माण करवाया था।.. 1. द्वारिका :   द्वारिका का पूर्व में नाम कुशवती था, जो उजाड़ हो चुकी थी। श्रीकृष्ण ने इसी स्थान पर नए नगर का निर्माण करवाया। कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने गुजरात के समुद्र के तट पर द्वारिका का निर्माण कराया और वहां एक नए राज्य की स्थापना की। कृष्ण की द्वारिका को किसने किया था नष्ट? कालांतर में यह नगरी समुद्र में डूब गई जिसके कुछ अवशेष अभी हाल में ही खोजे गए हैं। अभी...

मुझ पर भरोसा रखो- श्रीकृष्ण

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।।ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।ॐ।।  ' हे धनंजय! मुझसे भिन्न दूसरा कोई भी परम कारण नहीं है। माया द्वारा जिनका ज्ञान हरा जा चुका है, ऐसे आसुर-स्वभाव को धारण किए हुए, मनुष्यों में नीच, दूषित कर्म करने वाले मूढ़ लोग मुझको नहीं भजते।'- कृष्ण कृष्ण ही गुरु और सखा हैं। कृष्ण ही भगवान है अन्य कोई भगवान नहीं। हिंदुओं के लिए यह अंतिम सत्य की तरह है। बहुत से हिंदू चर्च, दर्गा या अन्य मंदिर जाते हैं वे सभी भटके हुए हैं। मृत्यु के बाद उनके पास सिर्फ पश्चाताप होगा, क्योंकि वे नहीं जानते हैं कि वे सत्य को छोड़कर असत्य और भ्रम की ओर चले गए हैं। वे सभी कुलहंता और विधर्मी हैं और जिन्होंने धर्मांतरण कर लिया है बहुत जल्द अंधकार भी उनके खिलाफ होगा। रोज गुरु घंटाल पैदा होते हैं और मर जाते हैं, लेकिन वे सभी धर्मविरुद्ध कर्म वाले हैं। पाश्चात्य सभ्यता की नकल के चलते लोग अपने धर्म से भटकने लगे हैं। जिन्होंने गीता नहीं पढ़ी उनके लिए जीवन के बाद का जीवन कठिन ही होगा। कोई बचाने वाला है तो वह कृष्ण का साथ। हे भरतवंशियों में श्रेष्ठ अर्जुन! उत्तम कर्म करने व...

महाभारत युद्ध के बाद इस तरह तबाह हुआ था भारत......

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महाभारत से एक बात तो निश्चित ही सीखने को मिलती है कि किसी भी समस्या का समाधान बातचीत से नहीं होता है और यह भी तय है कि युद्ध से कुछ भी हासिल नहीं होता। इसका मतलब यह कि वार्ता विफल होने के बाद युद्ध करो और युद्ध करने के बाद तबाही पर आंसू बहाओ। सवाल यह उठता है कि वार्ता कब विफल होती है? वार्ता तब विफल होती है जब‍ सामने वाले पक्ष में से कोई एक मूर्ख अड़ियाल रुख अपनाता है और अंत में सभी उसका साथ देने पर मजबूर हो जाते हैं। खैर.. क्या महाभारत युद्ध और युद्ध के बाद भारत तबाह हो गया था? यह सवाल बहूत महत्वपूर्ण है कि महाभारत के युद्ध के बाद भारत की क्या गति हुई। महाभारत की चर्चा सभी करते हैं लेकिन इस युद्ध के परिणाम की चर्चा बहुत कम की जाती है। इस युद्ध से संपूर्ण भारतवर्ष पर क्या प्रभाव पड़ा इसकी चर्चा बहुत कम ही की जाती है। तो आजो आज हम इसका विश्लेषण करते हैं.... कौरव पांडवों की सेनाओं की जनसंख्या : श्रीकृष्ण की एक अक्षौहिणी नारायणी सेना मिलाकर कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी सेना थी तो पांडवों ने 7 अक्षौहिणी सेना एकत्रित कर ली थी। इस तरह सभी महारथियों की सेनाओं को मिलाकर कुल...
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कृष्ण निवास :  मथुरा हिंदुओं के लिए मदीना की तरह है। गोकुल, वृंदावन, गिरिराज और द्वारिका में कृष्ण ने अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण क्षण गुजारे। पूरे भारतवर्ष में कृष्ण अनेक स्थानों पर गए। वे जहां-जहां भी गए उक्त स्थान से जुड़ी उनकी गाथाएं प्रचलित हैं लेकिन मथुरा उनकी जन्मभूमि होने के कारण हिंदू धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है। कृष्ण को ढूंढने वाले अक्सर गोकुल, मथुरा, वृंदावन, गिरिराज जाते हैं, लेकिन जानकार मानते हैं कि द्वारिका में कृष्ण आराम करते हैं और मथुरा में काम और वैकुंठ में ध्यान। इतिहासकार मानते हैं रावली पर्वत पर ही कहीं वैकुंठ लोक बसाया गया था। कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने गुजरात के समुद्र के तट पर द्वारिका का निर्माण कराया और वहां एक नए राज्य की स्थापना की। कालांतर में यह नगरी समुद्र में डूब गई जिसके कुछ अवशेष अभी हाल में ही खोजे गए हैं। अभी गुजरात में उक्त द्वारिका के समुद्री तट पर ही भेंट द्वारिका और द्वारका बसी हैं। हिंदुओं को चार धामों में से एक द्वारिका धाम को द्वारिकापुरी मोक्ष तीर्थ कहा जाता है। स्कंदपुराण में श्रीद्वारिका महात्म्य का वर्णन म...

भज गोविंदम मूढ़मते... ॐ श्री कृष्णाय शरणं मम।

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कृष्ण संकल्प :   सुख हो या दुःख आज से मैं आजीवन कृष्ण की शरण में हूँ। हिंदू धर्म के पास कुछ मंत्र हैं जिनसे ‍जीवन में चमत्कारिक रूप से लाभ मिलता है। मंत्र का अर्थ होता है मन को एक तंत्र में लाना। यदि आप एक मंत्र को छोड़कर कोई दूसरा मंत्र जपने लग जाते हैं तो मन जिंदगीभर कभी एक तंत्र में नहीं आ पाएगा और जब तक मन एक तंत्र में नहीं आता तब तक मंत्र फलित भी नहीं होता है। भगवान भी द्वंद में जीने वाले की शायद ही सुनता हो। द्वंद्व का मतलब यह कि आपको किसी एक पर श्रद्धा नहीं है। गीता का प्रमाण :  यह कृष्ण मंत्र नहीं कृष्ण से जुड़ने का सरल तरीका है। कृष्ण से जुड़कर ही संसार सागर को पार किया जा सकता है। इस संबंध में गीता में स्वयं कृष्ण कहते हैं:-  ' हजारों मनुष्यों में कोई एक मेरी प्राप्ति के लिए यत्न करता है और उन यत्न करने वाले योगियों में भी कोई एक मेरे परायण होकर मुझको तत्व से अर्थात यथार्थ रूप से जानता है। हे धनंजय! मुझसे भिन्न दूसरा कोई भी परम कारण नहीं है। यह सम्पूर्ण जगत सूत्र में सूत्र के मणियों के सदृश मुझमें गुँथा हुआ है। माया द्वारा जिनका ज्ञान हरा जा चुका...

महाभारत युद्ध हुआ तब कृष्ण की उम्र क्या थी,

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कृष्ण पर शोध :   हाल ही में ब्रिटेन में रहने वाले शोधकर्ता ने खगोलीय घटनाओं, पुरातात्विक तथ्यों आदि के आधार पर कृष्ण जन्म और महाभारत युद्ध के समय का सटीक वर्णन किया है। ब्रिटेन में कार्यरत न्यूक्लियर मेडिसिन के फिजिशियन डॉ. मनीष पंडित ने महाभारत में वर्णित 150 खगोलीय घटनाओं के संदर्भ में कहा कि महाभारत का युद्ध 22 नवंबर 3067 ईसा पूर्व को हुआ था। उस वक्त भगवान कृष्ण 55-56 वर्ष के थे। महाभारत युद्ध के 10 गुप्त रहस्य उन्होंने अपनी खोज के लिए टेनेसी के मेम्फिन यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर डॉ. नरहरि अचर द्वारा 2004-05 में किए गए शोध का हवाला भी दिया। इसके संदर्भ में उन्होंने पुरातात्विक तथ्यों को भी शामिल किया, जैसे कि लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी के सबूत, पानी में डूबी द्वारका और वहाँ मिले कृष्ण-बलराम की छवियों वाले पुरातात्विक सिक्के और मोहरें, ग्रीक राजा हेलिडोरस द्वारा कृष्ण को सम्मान देने के पुरातात्विक सबूत आदि। महाभारत, गीता और कृष्ण के समय के संबंध में मेक्समूलर, बेबेर, लुडविग, हो-ज्मान, विंटरनिट्स फॉन श्राडर आदि सभी विदेशी विद्वानों द्वारा फैलाई गई भ्...

कृष्ण जन्म के दौरान आठ अंक का महत्व...

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कृष्ण जन्म :   पुराणों अनुसार आठवें अवतार के रूप में विष्णु ने यह अवतार आठवें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के अट्ठाईसवें द्वापर में श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से आठवें पुत्र के रूप में मथुरा के कारागार में जन्म लिया था। उनका जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात्रि के सात मुहूर्त निकलने के बाद आठवें मुहूर्त में हुआ। तब रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि थी जिसके संयोग से जयंती नामक योग में लगभग 3112 ईसा पूर्व (अर्थात आज से 5125 वर्ष पूर्व) को हुआ हुआ। ज्योतिषियों अनुसार रात 12 बजे उस वक्त शून्य काल था। कृष्ण जन्म के दौरान आठ का जो संयोग बना उसमें क्या कोई रहस्य छिपा है। गौरतलब है कि कृष्ण की आठ ही पत्नियां थी। आठ अंक का उनके जीवन में बहुत महत्व रहा है।