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आइए, जानते हैं श्री कृष्ण की प्रचलित जन्म कुंडली के आधार पर कैसे हैं भगवान श्रीकृष्ण के जगमगाते सितारे। उच्च के 6 ग्रह, लग्न में एक स्वराशि का होने से श्रीकृष्ण सामने वाले की मन:स्थिति को जानने वाले तथा पराक्रमी बने। पराक्रम भाव में उच्च का एकादशेश व अष्टम भाव का स्वामी होने से श्रीकृष्ण से मृत्यु पाने वाले उनकी मृत्यु का कारण भी बने। पंचम भाव में उच्चस्थ बुध के साथ राहु ने आपको अत्यंत विलक्षण बुद्धि तथा गुप्त विद्याओं का जानकार बनाया। षष्ठ भाव में उच्चस्थ शनि होने से श्रीकृष्ण प्रबल शत्रुहंता हुए। सप्तमेश मंगल उच्च होकर नवम भाव है अत: भाग्यशाली रहे। चतुर्थेश सूर्य स्वराशि में होने से हर समस्याओं का समाधान श्रीकृष्ण कर सके। उनके समक्ष बड़े से बड़ा शत्रु भी न टिक सका। सर्वत्र सम्मान के अधिकारी बने। उच्च के चन्द्र से चतुर, चौकस, चमत्कारी, अत्यंत तेजस्वी, दिव्य और अनेक विलक्षण विद्याओं के जानकार रहे।



आइए, जानते हैं श्री कृष्ण की प्रचलित जन्म कुंडली के आधार पर कैसे हैं भगवान श्रीकृष्ण के जगमगाते सितारे। उच्च के 6 ग्रह, लग्न में एक स्वराशि का होने से श्रीकृष्ण सामने वाले की मन:स्थिति को जानने वाले तथा पराक्रमी बने। पराक्रम भाव में उच्च का एकादशेश व अष्टम भाव का स्वामी होने से श्रीकृष्ण से मृत्यु पाने वाले उनकी मृत्यु का कारण भी बने। पंचम भाव में उच्चस्थ बुध के साथ राहु ने आपको अत्यंत विलक्षण बुद्धि तथा गुप्त विद्याओं का जानकार बनाया।  षष्ठ भाव में उच्चस्थ शनि होने से  श्रीकृष्ण प्रबल शत्रुहंता हुए। सप्तमेश मंगल उच्च होकर नवम भाव है अत: भाग्यशाली रहे। चतुर्थेश सूर्य स्वराशि में होने से हर समस्याओं का समाधान श्रीकृष्ण कर सके। उनके समक्ष बड़े से बड़ा शत्रु भी न टिक सका। सर्वत्र सम्मान के अधिकारी बने।  उच्च के चन्द्र से चतुर, चौकस, चमत्कारी, अत्यंत तेजस्वी, दिव्य और अनेक विलक्षण विद्याओं के जानकार रहे।


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