Skip to main content

Posts

Showing posts from October, 2024

कृष्ण के सिरदर्द का इलाज

Image
  एक बार, कृष्ण के जन्मादिवस के अवसर पर उत्सव मनाने के लिये बहुत बड़ी तैयारियाँ की गयीं थीं। नृत्य संगीत और भी बहुत कुछ! लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए पर कृष्ण घर में ही बैठे रहे। वे शायद उसमें भाग लेना नहीं चाहते थे। वैसे तो कृष्ण हर तरह के उत्सव के लिये हमेशा तैयार ही होते थे, पर, इस दिन, किसी वजह से उनकी इच्छा नहीं थी। रुक्मिणी आयी और पूछने लगी, "नाथ, आपको क्या हो गया है? क्या बात है? आप उत्सव में शामिल क्यों नहीं हो रहे? कृष्ण बोले, "मुझे सिरदर्द है"। हमें नहीं मालूम, उनको वास्तव में सिरदर्द था या नहीं! हो सकता है कि वाकई हो और ये भी संभव था कि वे नाटक कर रहे हों!! उनमें वो योग्यता थी!!! रुक्मिणी बोली, "हमें वैद्यों को बुलाना चाहिये"। तो वैद्य आये। उन्होंने हर तरह की दवाईयां दीं। कृष्ण बोले, "नहीं, ये सब चीजें मुझ पर असर नहीं करेंगीं। लोगों ने पूछा, "तो हमें क्या करना चाहिये?"। तब तक बहुत सारे लोग इकट्ठा हो गये थे। सत्यभामा आयी, नारद आये। हर कोई परेशान था। "क्या हो गया? क्या हुआ है? कृष्ण को सिरदर्द है। हम उन्हें ठीक करने के लिये क्या करे...

दुर्योधन की पत्नी का कृष्ण भक्त हो जाना

दुर्योधन की पत्नी का नाम भानुमति था। वो एक बहुत ही सुंदर लड़की थी, और जब कृष्ण दुर्योधन के महल में मेहमान बन कर आये तब वो सिर्फ सत्रह साल की थी। दुर्योधन ने एक षड्यंत्र रचा जिससे कृष्ण को नशे की हालत में ला कर कोई वादा करा लिया जाये। उसने सभी तरह की व्यवस्थायें कीं और इस बात का खास ख्याल रखा कि भोज में खूब अच्छी मात्रा में शराब भी हो। दुर्योधन के दोस्त भी आये और सभी ने इतनी शराब पी कि वे सब नशे में धुत्त हो गये। पर कृष्ण ने अपने आपको शांत रखा और वे हर किसी को खुश करते रहे। इस सारे हंगामे में भानुमति ने भी कुछ ज्यादा ही पी ली - जितनी वो पी सकती थी, उससे भी ज्यादा। वो एक युवा लड़की थी और उसे इन चीज़ों की आदत नहीं थी। तो, वो नशे में बहकने लगी। कुछ समय बाद सभी लोग बहकने लगे और चीजें काबू से बाहर जाने लगीं। भानुमति अपने पर काबू खो बैठी। वो कृष्ण से लिपट गयी और उनके लिये अपनी इच्छा प्रकट करने लगी। कृष्ण ने उसे किसी शिशु की तरह सम्भाला, और वे समझ गये थे कि स्थिति खराब हो चुकी थी। वे समझ गए थे कि भानुमती अगर कुछ गलत कर बैठी तो बाद में संभाल नहीं पायेगी, और हस्तिनापुर की रानी का गौरव कलंकित हो जाय...